मुहब्बत की यादें पुरानी लिखें
चलो प्रेम की इक कहानी लिखें
गुज़री है दिल पर ज़ुबानी लिखें ।।
भले लाख पहरे हमारे लिये हों,
मगर हम चलो,सच बयानी लिखें।।
लिखे कोई दरिया या सगार लिखे,
मगर हम मीठा-सा पानी लिखें।।
सुमन सूखकर जो गिरे डाल से,
उन्हें मोंगरा-रातरानी लिखें।।
भूगोल युद्धों का लिक्खे भले वो
मगर हम सदा ज़िन्दगानी लिखें ।।
सिमटे हुए, दिल के पीले सफ़ों पर
मुहब्बत की यादें पुरानी लिखें ।।
मिलें ठोकरें रास्तों पर भले ही
मगर दूसरों को रवानी लिखें।।
वाह! बेहद खूबसूरत ग़ज़ल
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