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Showing posts from October 25, 2020

ये तेरा घर ये मेरा घर

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  घर का सपना कौन जीव नहीं देखता होगा? इस पृथ्वी पर हर जीव अपनी कुटिया अपने हाथों तीरना चाहता है । बड़ी आकाशीय छत के नीचे अपनी नन्हीं सी छत । जिस पर खड़े होकर जब पुरवा अपनी बाहों में उसे भर लेती है तब बनाने वाले को अपनी अट्टालिका इन्द्रासन से कम नहीं लगती ।  हाँ कुछ अपवाद भी हैं जो किसी दूसरे के बने बनाये घर में साधिकार घुस जाते हैं । वे हवा इसलिए नहीं खाते कि कहीं देख न ले  उनको । वैसे भी घातक का चेहरा सुकोमल होता भी कहाँ है! विश्वाश नहीं है तो किसी चूहे से पूछकर देख लो । उसके बिल को अपना महल बनाकर नागदेवता कभी कभी तो मालिक को भी हजम कर जाते हैं । हाँ, बंदर इतना निर्मोही नहीं होता ।  वह किसी के घर पर कब्जा नहीं करता बस समाने वाले के घर उजाड़ देता है । बंदर चाहता है कि जैसे वह किसी भी पेड़ के तने से उदक कर या डाली से चिपक कर सो लेता है, उसी प्रकार गौरैया भी रहे । वह बिना उसकी परवाह किये उसका घोंसला उजाड़ देता है । जबकि गौरैया के बच्चे बंदर ये मत करो मामा बंदर मामा... कहते रह जाते हैं, और आप महाशय दांत दिखाकर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं ।   गौरैया बहुत देर तक चिचयाती है और फिर से तिनके जुटाने लग