Posts

Showing posts from April 24, 2022

"चाहना" शब्द सजीव होता है. है न!

Image
विश्व पुस्तक दिवस पर  पुस्तकें कभी भी शोर पसंद नहीं करती हैं। वे अपने इर्दगिर्द सदा ही आर्य मौन चाहती हैं। ये आदत किताबों को लेखन ने डाली है। जब एक प्रबुद्ध लेखक किताबों के लिए भोज्य इकट्ठा कर रहा होता है तब वह निचाट अकेला होता है और जब किताबों का मन बुन रहा होता है तब वह संसार के अनुभव को साथ लेकर लोक की चिल्लाहट से परे एक कोने में डटा होता है। लेखक अपना इतना मानसिक शोधन करता है कि पुस्तकें इसकी आदी हो जाती हैं। बुद्ध के अनुयायी ये बात जानते हैं कि सच्ची ख़ुशी आँखों के झरोखे बंदकर आर्य मौन भरकर घटाकाश में बैठने पर ही संभव हो सकता है। ये बात किताबों ने अपने लेखक से सीखी है इसलिए वह अपने पाठक को बताती है।   जितना एकांत पुस्तकालय उतनी ही ज्ञान की ऋचाओं का गुंजन। आपने देखा होगा संसार में जिस घर में बर्तनों और भौतिक वस्तुओं से ज्यादा पुस्तकें होती हैं , उस घर में शब्दों की सरगोशियाँ सहज ही वहाँ के वातावरण में महसूस की जा सकती हैं। किताबों वाले घर के सदस्यों के मुँह में लगाम नहीं लगी होती है। बल्कि वैचारिक रूप से सदस्य लगाम महसूसते रहते हैं। तभी तो शायद वे रुककर , सोचकर और चिन्तन-विच

बाँस की बेटी

Image
  क्या बाँस की बेटी से आप मिले हैं ? " बाँस भर टोकरी" से यदि बाँस की बात कही जाए तो वह अपनी कठोरता और पोलापन अपनी बेटियों को कभी नहीं सौंपता। बाँस भी हम मनुष्यों की भांति अपनी बेटी को सदैव सहनशीलता और भावुकता से भरे रहना सिखाता है। तभी तो बाँस की बेटियाँ , टोकरियाँ भी अपनी अपरमित उदारता से संसार का हर दिया हुआ चुपचाप अंतर में सहेज लेती हैं।  बाँस की टोकरियों में आप चाहें तो फूल सजाएँ या सब्जी-भाजी , फल , रद्दी पेपर , विदाई के माठ , मिठाई और पुए भरें या फिर कूड़े-कचरे के लिए उन्हें चुन लें। वे मौन रूप से अपने आकार भर सब कुछ स्वीकार कर लेती हैं। वैसे आप देख सकते हो जब टोकरियाँ खाली होती हैं तब उनमें आसमान भरा होता है। पिता बाँस जब अपनी पुत्री के औदार्य को निहारता है तो निहाल हुए बिना नहीं बच पता है। बेटी की उदारता पर बाँस सोच-सोचकर हैरान होता रहता है कि उसकी बेटी उसका नाम कितनी सुंदरता से हर कोने रोशन कर रही है। जब बाँस टोकरियों को फूलों से सजा हुआ देखता है तब तो उसका मन हरा हो लहक उठता है। और इस तरह पिता संतति में अपने पोले अस्तित्व को पल दो पल ही सही भूल जाता है। बेटियों के स