Posts

Showing posts from January 22, 2023

प्राचीर से

Image
  प्राचीर से जो उग रहा , वह प्राण प्यारा है रश्मियां सुरभित सलोनी रूप न्यारा है पवन वासंती बहेगी खोलकर अब केश अपने भुवन दमकेगा नदी और सर किनारा है।

खेल

Image
किसी ने कहा,जीवन खेल है हमने खेल को जीवन समझ लिया दिन के आरण्यक में खोजने लगे हम भूख की डाल पर तृप्ति के फूल अकेले रहकर खुद से आँख मिलाना कठिन लगा तो हमने भीड़ को चुन लिया और कबीलों में खो गए लड़ने लगे दिन से लोगों को वह खेल लगा हमने खेल में खो दिया खुद को   खेल स्थगित करता गया हमारा रोना तो हम हँसते गए खुद पर और ज़िंदा बच गए। ****

खुद से मिलो

Image
  समय रहते पहचान लो अपनी कीमत नहीं तो कोई चीन , कोई जापान उठा ले जायेगा तुम्हारा बुद्ध किसी पेड़ के नीचे पड़े आम की तरह और तुम रह जाओगे बनकर बुद्धू   प्रेम प्रयोगों में नहीं प्राप्तियों में निहित है प्रेम कहता है कहीं भी जाओ अपने साथ मन ,  प्राण ,  आत्मा को ले जाओ इनके बिना शरीर काम नहीं करता किसी और से मिलने से पहले खुद से मिलो जैसे पानी से पानी ,  बादल से बादल , धूप से धूप ,  रंग से रंग खुशबू से खुशबू मिलती है अपने को मत छोड़ो किसी और के सहारे उठाओ हाथ आसमान की ओर और छू लो अपना माथा जहां आज भी रखा होगा माँ का एक गुनगुना चुंबन उठाकर प्रेम को वहाँ से मल लो अपनी आँखों पर ताकि देख सको दुनिया को ज्यादा प्रेम से पहचान सको कीमत उसकी जो हमेशा मौन रहा , नदी के बीच , नदी की तरह।  ***