Posts

Showing posts from October 22, 2023

मुहब्बत की यादें पुरानी लिखें

Image
  चलो प्रेम की इक कहानी लिखें गुज़री है दिल पर ज़ुबानी लिखें ।।   भले लाख पहरे हमारे लिये हों , मगर हम चलो,सच बयानी लिखें।।   लिखे कोई दरिया या सगार लिखे,   मगर हम  मीठा-सा  पानी लिखें।।   सुमन सूखकर जो गिरे डाल से,   उन्हें  मोंगरा-रातरानी  लिखें।।   भूगोल युद्धों का लिक्खे भले वो   मगर हम सदा ज़िन्दगानी लिखें ।।   सिमटे हुए, दिल के पीले सफ़ों पर   मुहब्बत की यादें पुरानी लिखें ।। मिलें ठोकरें रास्तों पर भले ही   मगर दूसरों को रवानी लिखें।।

मन को कैसे राधा कर लूँ

Image
  कैसे तुम से वादा कर लूँ , जीवन अपना आधा कर लूँ ।।   कुब्जी प्रीति दिखाओगे तुम   मन को कैसे राधा कर लूँ ।।   सुई रखोगे नश्तर वाली कैसे खुद को धागा कर लूँ ।।   कृपण नियति बाँटोगे जी भर   कम से कैसे ज़्यादा कर लूँ ।।   गूँगे गीत सिखाओगे जब स्वर को कैसे बाजा कर लूँ ।।   लड़-भिड़ बाँटोगे कुनबे जब   चूल्हा कैसे साझा कर लूँ ।।   लूटोगे नित नई पतंगें उनसे जुड़ क्यों मांझा कर लूँ ।।   फक्कड़ सुबह-शाम बाँटोगे   दिन को कैसे राजा कर लूँ ।।  

चेहरे बीच लुनाई आए

Image
  कैसे बात बनाई जाए चेहरे बीच लुनाई आए।।   कहते-सुनते बीच-बीच में अपनी जगह बचाई जाए।।   नदिया नहर सरोवर में रह मन की भीत उठाई जाए।।   हथियारों के बाज़ारों में कोई ग़ज़ल सुनाई जाए।।   यहाँ-वहाँ की राजनीति में सच्ची नीति बनाई जाए।। रैन बसेरा जग का फेरा अपनी राह सजाई जाए।।   कल्प न बीते विचलन में , मंज़िल एक बनाई जाए।।

सेवक रबड़ी चाप रहे हैं

Image
  पंछी अम्बर नाप रहे हैं हम दीवारें पाथ रहे हैं ।।   आग जलाकर चौराहों पर हिम्म्मत वाले ताप रहे हैं ।।   गलती करने वाले ही ख़ुद बेकुसूर को श्राप रहे हैं।।   प्रहरी जनता के बनकर वे   ख़बर भेद की छाप रहे हैं ।।   कोरी शान बचाने को , कुछ गिद्ध , मंत्र को जाप रहे हैं ।।   शाही खर्चे पर धरना धर सेवक रबड़ी चाप रहे हैं ।।   सच को फाँसी देने वाले हरिश्चन्द्र के बाप रहे हैं ।।  

ख़ुद से सच्चे वादे रखना

Image
तन पर कपड़े सादे रखना मन को अपने साधे रखना ।।   बिगड़ी बात बनानी हो-जो   ख़ुद से सच्चे वादे रखना ।।   पड़े ज़ोर यदि सच कहने में मुँह पर अपने ताले रखना।।   टेढ़ा होकर समय डराए हिम्मत के तुम भाले रखना ।।   सीख रहा है बचपन तुमसे ख़ुद को तप में ढाले रखना ।।   पड़े सामना अपनों से जब अपने होश सम्हाले रखना ।।   भले ‘ कल्प ’ निस्सार गए हों , आस हृदय में पाले रखना ।।