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Showing posts from July 11, 2020

मन की बेतुकी भड़ास

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जब से हेमा ने अपनी मित्र सुरभि को पिंक कलर की ऊँची हील की सैंडिल पहने देखा..उसका मन भी उन्हें लेने को ललक गया था ।ये बात घर में सिर्फ़ उसकी माँ जानती थी। " सावन आने वाला है , बोल हेमा तुझे क्या चाहिए ?" " कुछ नहीं भैया आप सभी मेरा बहुत ख़्याल रखते हो और इतना काफ़ी है मेरे लिए।" " बोल क्यों नहीं देती बिटिया कि तुम्हें सुरभि जैसे सैंडिल चाहिए।" पास बैठी उसकी माँ ने कहा । " नहीं माँ ! वैसे भी रोली की पढ़ाई बहुत मँहगी है और मेरी जैसी बहन जो शादी के बाद भी इसी घर की होकर रह गई है...।" " अच्छा ठीक है , तू जा अभी मेरे लिए कॉफी बना ला।" उसके बड़े भाई ने उससे कहा और झुककर अपनी माँ से कुछ पूछने लगा। " जी भैया , अभी लाई ।" सावन का दिन आया तो उसके और रोली के लिए ढेर उपहार घर आये। उनमें पिंक कलर की ऊँची हील के सैंडिल देख हेमा का मन पाखी हुआ जा रहा था । " माँ बुआ ने तो मना किया था फिर भी डैडी उनके लिए सैंडिल ले आये हैं।" कहते हुए रोली बाहर खेलने चली गई। " रहेगी तो वह मेरे पाँव की जूती ही न! चाहे कितनी भ