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Showing posts from August 11, 2020

रुके क़दम, यूँ आगे बढ़ें...

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मेरा सौभाग्य है कि देश की चर्चित साहित्यकार   उषा राजे सक्सेना जी   की कहानी को अपने ब्लॉग पर लगाने का अवसर मिला है | आज की परिस्थियों में जिस प्रकार अवसाद अपनी पैठ बनाता जा रहा है; वह बेहद दुखद है | उषा जी ने उससे उबरने की नायब तकनीक अपनी कहानी में बुनी है | इस तरह के साहित्य की इस वक्त अति आवश्यकता | *** स्वरांगी, अभी कमरे में पहुँची ही थी कि आदित्य का टैक्स्ट आ गया कि वह कल सुबह भोपाल पहुँच रहा है. स्वरांगी को आश्चर्य हुआ....बहुत कोशिश करने के बावजूद यूँ भी उसे एक सप्ताह से अधिक छुट्टी नहीं मिल पाई थी. अतः उसने परिवार में किसी को भी अपने आने की भनक नहीं लगने दी थी. आदित्य को कैसे पता चला? वह चकित थी.  रात काफ़ी हो चुकी थी अतः उसने सोचा, सोने से पहले लैप-टॉप चार्ज करने को लगा दूँ. ‘अरे! मैं दो पिनों वाला प्लग तो रखना ही भूल गई. खैर.. अब तो रात काफी हो चुकी है.’ उसने सोचा, ‘अब कल सुबह देखेगी...’ अतः सुबह आठ बजे उठते ही स्वागत कक्ष में आकर काऊँटर पर बैठे कर्मचारी से ‘टू-पिन प्लग’ लेकर मुड़ी ही थी कि    ‘बुआ जी, प्रणाम.’ कहते हुए आदित्य ने झुक कर स्वरांगी के दोनों पैरो को हाथों से स्पर्