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Showing posts from November 30, 2022

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन

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ये बात सब जानते है कि दिन की वास्तविक संगत सुनहरी और निर्मल है लेकिन ग्रहण हमें करनी होती है , इसलिए उसे अपने अनुसार ढाल लेते हैं। कभी कहते हैं कि आज का दिन बहुत पुरसुकून भरा था और कभी दिन को लताड़ते हुए उसकी इतनी बुराई करते हैं कि समाने आकर अगर वह सुन ले तो कभी लौटकर हमारी ओर देखे तक नहीं।   खैर , आज  सुबह आँख खुलते ही अनायास दिमाग़ में एक अजनबी विचार ने दस्तक दी  और  दिन पार करते हुए भी टटका विचार बराबर मेरे साथ चलता रहा। किसी भी प्रकार से सुबह से शाम तक हर छोटी-छोटी घटनाओं और इच्छाओं में उसका दमन नहीं हो सका। एक छोटा-सा विचार दमदारी से अन्य   विचारों के साथ मन में विहार करता हुआ जीवित बना रहा, और अब देखिये उसी की महिमा कि लिखकर उससे हाथ छुड़ाने बैठ गयी हूँ।   आज न जाने क्यों संसार में जीव के आवागमन पर थोड़ा हटकर  ध्यान अटक गया। जब चिन्तन जीवन-मृत्यु को देखने लगा तो सुने हुए ज्ञान के अनुसार पता चला कि संसार में आवागमन में व्यक्ति द्वारा किए कर्म सूत्रधार की भूमिका अदा करते है। जिस तरह का कर्म जीव करता है ,  उसी के अनुसार इहिलोक-परलोक में फल को प्राप्त होता है। हमारी भगवत गीता ने भी इस बा