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Showing posts from October 14, 2020

चिर सजग आँखें उनीदीं आज कैसा व्यस्त बाना...

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गरमी की छुट्टियाँ जहाँ ढेर सारी मौज लेकर आती हैं।   वहीं पर धुकधुकी भी कम नहीं लातीं! क्योंकि यही बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित होने का भी समय होता है। इसी क्रम में मेरी स्मृतियों के बस्ते में एक बहुत गाढ़ा अनुभव बंद है।   जो   बचपन की उन गहरी यादों की थाती में शुमार है , जिनमें सुख और दुःख दोनों निहित हैं।   सच कहें तो   मेरा ये अनुभव आज भी उतना ही ताज़ा है   जितना कि तब था , जब ये घटित हुआ था।   वैसे यदि मैं कहना चाहूँ तो मेरा जीवन आज भी परीक्षाओं से रिक्त नहीं है।पलपल मेरे जीवन में अनचाहा कुछ न कुछ घटता ही रहता है।   लेकिन जो बात मैं आपके साथ साझा करने जा रही हूँ वो है मेरी पहली   बोर्ड परीक्षा की।   मैं अपने मामाजी के घर रहकर पढ़ती थी तो   जिस दिन दसवीं की परीक्षा का आखरी दिन था उसी दिन माँ   के कहे अनुसार मामा जी ने मुझे अपने घर के लिए सरकारी बस से रवाना कर दिया था।   परीक्षा का आखिरी दिन होने के कारण मैं जैसी स्कूल से लौटी थी वैसी ही दो चोटी किये , युनिफ़ॉर्म में आसमानी कुर्ता सफेद सलवार-दुपट्टा और काली जूतियाँ पहने कंधे पर बैग लादे अपने घर के लिए निकल पड़ी थी।   परीक्षा अच्छे से प