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Showing posts from October 21, 2022

अन्वेषण की आकांक्षी स्त्री

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  आओ आवरण बांचें सीरीज में अनीता सैनी ' दीप्ति ' का कविता संग्रह ' टोह ' जो Bodhi Prakashan से प्रकाशित है। आज मेरे सामने है। अनीता ने संग्रह के शीर्षक का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया है। उसके बारे में कवयित्री क्या सोच रखती है नहीं पता। लेकिन मुझे लगता है कि ' टोह ' ज़िंदगी मापने का एक ऐसा टूल है जो व्यक्ति को हर उस बात के लिए सचेत करता है , जिसका असर उसके जीवन पर हो सकता है। बिना टोह लिए किया गया कार्य वैसे ही होता है जैसे किसी बिल में पकड़ने जाओ चूहा और मिल जाए नाग। आवरण पर अंकित चित्र और रंगों का समावेश भी बहुत सुंदर और परंपराओं को धता बताने वाला दिख रहा है। यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि स्त्री की साड़ी का रंग गुलाबी या लाल न होकर बैंगनी रखा गया है। इतने चटख रंग पर स्त्री को कभी अधिकार ही नहीं था। उसके लिए ' पिंक ' यानी कि गुलाबी रंग ही निर्धारित किया गया था। स्त्री की भावनाएँ पिंक कलर में ही ध्वनित हो सकती हैं , सोच की सीमित परिधि न मालूम किसकी थी। ख़ैर , आज स्त्री के लिए "टोह" एक व्यवस्था का नाम है। स्त्री का स्वावलंबी सफ़र इसी