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Showing posts from November 28, 2022

रिश्तों की अल्पना

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  सहानुभूति ( सिंपैथी) समानानुभूति (एंपैथी) इन दो शब्दों में से मारे मरुवा हम पहले शब्द को बड़ी मुश्किल से जान पाते हैं और इसपर भी हमें नाज़ होता है कि समस्त करुणा का लेन देन हम समझ गए हैं। आत्मसात करने की बात तो अभी कही ही नहीं गई। अब दूसरा शब्द कहता है कि ," बहनी हमरी बात भी कर लेव।" तो इस का दर्द महसूस करते हुए मैंने देखा कि हम इस के पास से होकर नहीं , दूर से भी नहीं गुजरते हैं। तो बताइए रिश्तों की अल्पना सुंदर कैसे बनेगी ? रिश्ते की मर्यादा किसी दो के बीच ही संघनित हो सकती है इसलिए इन दोनों शब्दों का अर्थ भी रिश्ते में बंधे वस्तु या व्यक्ति दोनों को ही समझना होगा। एक बात और कि रिश्ता लघु शब्द नहीं , इसमें प्रकृति से लेकर भूगोल , इतिहास , समाजशास्त्र , पाकशास्त्र सब के सब निहित होते है। इस चिड़िया को जब ध्यान से देखा तो मुझे लगा कि बस ये नन्हा सा जीव पेड़ के साथ अपना रिश्ता लचीला , हरा और खुशबूदार बनाए रखने के लिए , उक्त दोनों शब्दों को बरतते हुए , उसके अर्थ और भाव के साथ तालमेल बैठाती हुई लग रही है। जिंदगी पढ़ो तो कठिन है , समझो तो अबूझ लगती है और आहिस्ता आहिस्ता

बुद्ध न होते

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  कह देते यदि मन की पीड़ा तो शायद तुम बुद्ध न होते।। *** पूजा अर्चन यज्ञ नेम जप , करते रहते भरम उजागर छोड़ न देते यदि तुम घर को तो शायद तुम शुद्ध न होते।। *** खुद को रखकर धुरी बीच में नाप गए सबके मन आगर अहम मार दफनाते खुद के तो शायद फिर युद्ध न होते।। *** मन कर लेते कबिरा जैसा लोई  जैसा  देह  समर्पण साँस-साँस में जपते सच को तो शायद प्रभु क्रुद्ध न होते।।  ***