Posts

Showing posts from December 18, 2020

जीवन की आपाधापी में

Image
  जीवन की आपाधापी में तुम्हें चैन से देख न पाया ।।   किसने रोका किया पढ़े थे किसने मंतुर कौन चढ़ा था घोड़ हुआ था क्यूँ कर आतुर   कान खींचते चौमासे में हिस्से सब भींगा ही आया।।   दिवस हुए न सगे निशा क्या होती अपनी पाथ-पाथ कर उपले घर की छूटी हफनी   कूटी सरसों खलिहानों में लगी भूख , पनझोरा खाया।।   दूर खड़ी है खुशी टेरती रहती हर दिन मन गमके , उठे हिलोर चुभे ना दुख का पिन   तो चलकर देखें उसे बिहँस जो  जग पर छाया ।। **