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Showing posts from December 12, 2025

मां की स्मृति में

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माँ की आँखें मामूली नहीं थीं। उनकी चिंतनधारा ने मुझे विचारों की समृद्ध विधि सौंपी है। आपके होने के आगे मेरा होना हमेशा नतमस्तक रहेगा। मलाल बस इतना, मैं ही वह न दे पाई जो एक स्त्री को दूसरी स्त्री को देना चाहिए। यह स्वीकार आज भी भीतर कहीं ठहरा रहता है।  मां का जीवन साहित्यिक नहीं था। पर सोच साहित्यिक थी। अब सोचती हूँ तो लगता है कि आप एक किरदार की तरह थीं। उत्साह और जिजीविषा से भरीं। आप साधारण स्त्री तो बिल्कुल नहीं थीं। न सोच में। न व्यवहार में। न भाषा में। न जीवन में। आप असाधारण थीं। मां ने अपने कार्यान्वयन से वह सिखाया जो साधारण स्त्री सोच नहीं सकती। मां ने सिखाया सामने चाहे पुरुष हो या स्त्री बात दोनों से की जा सकती है। झेंपने की की जरूरत नहीं। मैंने आपसे ही अपनी देह यानी स्त्री-देह से विरक्त और आत्मा में स्थिर रहना सीखा। मैंने आपसे अपनी परिधि को बड़ा बनाना सीखा। मैंने आपसे अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहना सीखा। साथ ये भी सीखा कि जो रिश्ते संवेदना रहित होकर उपयोग करने लगें, उन्हें त्यागना ही उचित है। आपके सिखाए हुए रास्ते पर चलते हुए कई कई बार मैं खुद को परेशानियों स...

मैं अपने प्रेम में हूँ

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मैं अपने प्रेम में हूँ ।। कल्पना मनोरमा  जो बात कहने जा रही हूँ, देखो—तुम चौंकना मत हालाँकि, यह बात कुछ चौंकाने जैसी ही है। हो सकता है तुम्हें यह उतनी खास न लगे, मगर बड़ी कठिनाई से समझ आई है  यह बात मुझे इसीलिए बेहद खास है मेरे लिए बात ये है कि मैं अपने प्रेम में हूँ यही विशेष है, और यही मुझमें अपने भर  बचाए हुए है शेष जब मन में जीने का भाव उठा, तभी यह विचार भी पहले-पहल आया खुद से प्रेम करना माने ज़िंदा बने रहना  या ज़िंदा रहने के लिए खुद से प्रेम करना… इसका मतलब नहीं पता बस इतना जान गई हूँ  कि मैं अपने प्रेम में हूँ और यह जान लेना ही मुझे राहत दे रहा है।