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Showing posts from April 27, 2023

नमक की गुड़िया ये नहीं

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चित्र : अनुप्रिया  " उम्र आधी गुज़र जाने के बाद भी शाम गहराने से पहले मैं दरवाज़े की कड़ी खोल देती हूँ ताकि ऑफ़िस से लौटते हुए पति को बाहर प्रतीक्षा न करनी पड़े। अब आप चाहे तो इसे मेरा डर कह सकते हैं या अपना चैन बेमतलब क्योंकर गमाऊँ वाला रवैया या फिर जो आपका मन , कहें लेकिन मैं करती ऐसा ही हूँ। "    विचारों की तहों में उलझे क्रोशिया चलाते हुए मैं दीवार घड़ी पर नज़र दौड़ाती हूँ ,’ आज़ तो छह बजने वाले हुए , दरवाज़ा तो मैंने खोला ही नहीं। मदन यानी मेरे पति कहीं बिफ़र न पड़ें। ’ हाथ में पकड़ा क्रोशिया और धागे की पोनी को बेड पर छोड़ जल्दी से दरवाजे की कड़ी खोल देती हूँ। लौटकर बिस्तर पर फैली चीज़ों को जगह पर सहेज ही पाती हूँ कि मदन साहब सपाट चेहरे के साथ घर में प्रवेश करते हैं।   “ अरे! आपके हाथ में ये पोस्टमैन वाला बैग ? क्या डिमोशन कर डाकिया बना दिए गए हो ?” उनका हुलिया देखकर मैं अपने मन के माहौल को खुशनुमा बनाए रखने की ख़ातिर मज़ाकिए लहजे से पूछती हूँ। “ क्या बकवास है ? अपनी कॉलोनी की कुछ किताबें , रजिस्ट्री और पत्रिकाएँ हैं। एक नए ज्वाइनी डाकिए की ड्यूटी इधर ही चल रही है। चलते समय बैग थमा

'लिखती हूँ मन' आवरण कथा

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  आज आवरण कथा में आलोचक , कथाकार और कवयित्री रोहिणी अग्रवाल जी का काव्य संग्रह " लिखती हूं मन" जो वाणी प्रकाशन से प्रकाशित है , को रख रही हूँ। क़िताब पढ़ना कल से शुरू किया है और अभी दो तीन दिन और लगेंगे , कविताओं का मन समझने में। तब तक क्यों न आवरण की बात कर ली जाए। किसी भी पुस्तक का शीर्षक और आवरण मेरे लिए अति महत्वपूर्ण मामला है। ये दोनों तत्व मिलकर पाठक की आँख और समझ की परिधि में अपनी सुदृढ़ जगह पहले बनाते हैं। वैसे कहा जाए तो यह आवरण शांत और सादा है पर मैं इसके भीतर की खदबदाहट को मैं खूब सुन पा रही हूँ। पहले रंगों की बात अगर की जाए तो इस आवरण में श्वेत रंग का प्रयोग ज्यादा मात्रा में किया गया है। सफेद रंग जितना ज्यादा होगा उतना ही गहरे अन्य रंगों की गरिमा को खुलकर विकसित होने का मौका मिलेगा। उसी युक्ति का निर्वहन यहाँ दिखता है। अब बात करूँ शीर्षक की तो मन जितना विशाल तत्व इस पृथ्वी पर क्या होगा ? जब कवयित्री कहती हैं कि "लिखती हूँ मन" तो वे पहले ही एलान कर देती हैं कि मैं सांसारिक स्थूलता में न उलझ कर वैचारिक और तीक्ष्ण सम्वेदनाओं और मनोभावों की बातें कविता