Posts

Showing posts from January 17, 2021

नया वर्ष आया

Image
  चलो विसर्जित करें पुराना नया वर्ष आया।।   बावन बीघा फैला है जो कर्जा किसको सौंपें संकोची मन की आशाएँ कहो कहाँ फैंकें   कहाँ छिपा दें गीला गूदड़ जिसे सुखा ना पाया।।   घरवाली के पास रखी है चिंताओं की थैली अम्मा ने कब से पहनी है तन पर धोती मैली ठिठुरा लाल कड़ी सर्दी में कंबल ले ना पाया।।   लाल बही में छिपे पड़े हैं कई वर्ष अधनंगे जुरी नहीं थी सूखी लकड़ी और न सूखे कंडे   कौड़ी-कौड़ी रहा जोड़ता रुपया देख न पाया।। ***

कच्ची-कच्ची धूप

Image
  सरसों के दामन से लिपटी मन से कच्ची-कच्ची धूप ।।   बूढ़ा जाड़ा मोह पाँस में दिन को जकड़े रहता काँख गुदगुदी करता सूरज , दिन किलकारी भरता   कभी फिसलती कभी सम्हलती करती माथा-पच्ची धूप ।।   चारों ओर देख बदहाली मन उसका घबराता बरसा जब करती मनमानी सिर उसका चकराता   किरन-किरन को चुन-चुन देती सबको , सच्ची -सच्ची धूप।।   आसमान की छत वालों को चुटकी काट हँसाती आएगा ऋतुराज जल्द ही चिट्ठी बाँच सुनाती   खुशियों की चादर में बुनती खुद को लच्छी-लच्छी धूप।। ***