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Showing posts from August 13, 2020

तलाश

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  नदी ज्यों ही उतरी पिता की गोद से उसने पूछा उसी क्षण मेरा लक्ष्य... चिड़िया ने कहा सागर मैं मैं मैं मैं जंगल , रास्ते , मैदान गूँज उठीं कई आवाज़ें एक साथ नदी ने कहा तुम सब सहयोगी हो मेरी यात्रा के महत्पूर्ण अंक और अंग हो किन्तु लक्ष्य नहीं  बातें सुन नदी की किनारों ने  जतायी  नाराजगी अपनी चलते रहते हैं हम साथ-साथ , जीवन भर फिर भी छोड़ देती हो तुम देखते ही किसी को मेरा साथ बोले किनारे नदी मुस्कुराई थोड़ी शरमाई    माना कि जरूरी है पाना लक्ष्य किन्तु मर्यादा का भी होता है अपना महत्व और नहीं चाहती मैं   तुम्हें अस्तित्वहीन देखना  किनारे लौट गए दूसरी नदी की तलाश में ।