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निस्सीम गगन के आँचल में

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  कुम्हार पंछी- चित्र इन्स्टाग्राम  मैंने आज तक घौंसले बनाने वाले कई तरह के कमेरे पक्षी देखे। कई प्रकार के उनके घर देखे लेकिन कुम्हार पंछी को पहली बार देखा तो हतप्रभ रह गयी ।  इस सब पंछियों में से बया से अत्यधिक प्राभावित रहने वाला मेरा मन बचपन में बया बनने की कल्पना में पल-पल खोया रहता था। जिस उम्र में लड़कियाँ सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर आने वाले अपने साथी राजकुमार का चित्र देखती होंगी , मैं बया की तरह अपने घर की निर्मित में बहुत-बहुत देर उलझी रहती। उसी की तरह बबूल के वृक्ष की कांटेदार डाली यानि कि काल्पनिक निरे अपने संसार की कल्पना करती रहती जो कठिनायों से भरा तो था ही साथ में सामाजिक नियम , कायदे और कानून की इतनी सघन परिधियाँ कि मेरी सोच भी कभी-कभी हार मानकर सिथिल पड़ने लगती थी किंतु कल्पनाशक्ति ने कभी हार नहीं मानी। इतना जरूर मुझे लगता रहा है कि दुनिया बनाने वाले ने एक काम मेरे हित में बहुत अच्छा किया है जो उसने मुझे मनोरमा जैसी माँ दे दी। दरअसल बया की तरह से ही मेरी माँ जुझारू प्रवृत्ति के साथ कभी हार न मानने वाली महिला थीं। उन्हीं के  रचनात्मक सानिध्य ने मुझे हर वह चीज़ सीखने के