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Showing posts from May 9, 2023

यथार्थ बोध एंव नारी संवेदनाओं का कलात्मक पक्ष

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संवेदनाओं का कलात्मक पक्ष ( विशेष संदर्भ -बॉस भर टोकरी ) कल्पना मनोरमा आज के स्त्री लेखन विशेष कर हिंदी कविता की विस्तृत दुनिया में अपना एक कोना सुरक्षित कर चुकी हैं. जहाँ अधिकतर कविताएँ यथार्थ की पथरीली जमीन को तोड़ने के दावे के साथ उसे वैसे ही ऊसर छोड़ आगे बढ़ जाती हैं , वहीँ कल्पना की ज्यादातर कविताएँ उसी सख्त , ऊसर जमीन पर अपनी कल्पना के ही नहीं यथार्थ के कड़वे बीज को जो इस समाज ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी आधी आबादी को सौपें थे , उसे उन्होंने संस्कारों की मिट्टी में अपनी संवेदनाओं की नमी के साथ रोप दिया है. शब्द दर शब्द आज वही मेहनत अपनी सुगंधि से साहित्य संसार को तो सुवासित कर ही रही है , उन्होंने उसको ही संस्कार व् संस्कृति के रूप में संजो कर ‘ बांस भर टोकरी ’ में संकलित कर पुनः इसी समाज को लौटा दिया हैं.   धरती ने कब बीज को अपनी छाती में छिपा कर रखा है ? वह तो उसे अपने को उलीच कर दे देती है. इसीलिए उसे पुनर्नवा कहा जाता है. ये कविताएँ भी उसी तरह कि हैं , इनसे गुजरते हुए आपको यह एहसास बराबर होता चलेगा कि कुछ भी समतल नहीं , यथार्थ की खुरदरी जमीन से अपने अच्छे-बुरे अनुभवों से बराबर संवाद करती य

जीवनमूल्यों के दोहरे मुखौटे

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"बाँस भर टोकरी" कविता संग्रह की अपनी बात अब जबकि दूसरी काव्य कृति " बाँस भर टोकरी " प्रकाशन में जाने को तैयार है तो मन के धरातल पर धुकधुकी के बुलबुलों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। दिन में अक्सर आशंकित उत्तेजना मेरे   आशावादी दृष्टिकोण को प्रासंगिकता-अप्रासंगिकता वाली हलचल से भर जाती है। कविता की कसौटी पर अपने कविकर्म को कितना कस पायी हूँ और कितना छूट गया है , का विश्लेष्ण आलोचक की भाँति विचारों में स्वत: स्फूर्त हो उठता है। क्या मैं अपने द्वारा देखी , सुनी , जियी और भोगी जिन्दगी की छटपटाहटों को कविताओं में ठीक से निरूपित कर पायी हूँ ? क्या किसी मूक उर की वेदना को बिना ‘ जजमेंटल ’ हुए होलसेल में कह पाई हूँ ? विश्रृंखलित , अधूरी , बेकल सम्वेदनाएँ जिन्होंने न जाने मेरे कितने पलों का चैन छीनकर उदार मन हो सोने नहीं दिया ; क्या उन सब घायल पलों की भावनाओं को मैं कविता के अंतस में सँजो पायी हूँ ? काल की उजली कलुषिता और विपन्न कालखण्ड का आक्रोश जो शब्द याचनाओं के रूप में मेरे आंतरिक भावनात्मक मलवे तले दबा पड़ा था , क्या उससे पूरा का पूरा छुटकारा मिल सका होगा ? क्या इस क