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रिश्तों के शहर में निर्मला तोदी

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“ आवरण कथा वाचन ” सीरिज में आज़ बंगाल की सुपरिचित साहित्यकार निर्मला तोदी जी की पुस्तक " रिश्तों के शहर " कृति मेरे समक्ष है। पुस्तक के आवरण को देखते हुए कृति के शीर्षक में कलेवर की बात तरतीबी से ध्वनित होती हुई जान पड़ रही है। जिस प्रकार निर्मला जी की बहन रेनू छोटारिया ने इस आवरण चित्र की संरचना की है , वह काबिल-ए-तारीफ़ है। संसार में रिश्तों के अंदरूनी और वाह्य दोनों प्रकार के रंग इस चित्र में समाहित है। आवरण चित्र कह रहा है कि आपको रिश्तों के गहरे-हल्के रंगों जैसे-बाफादारी , मक्कारी , ऐयारी , प्रेम , घृणा , भक्ति , त्याग , समर्पण , उदारता और साथत्य के रिश्तों की महागाथा यदि गहराई से देखनी हो तो महाभारत और रामायण को देख कर महसूस किया जा सकता है। ऐसे मानिए कि " रिश्तों के शहर " शीर्षक की आत्मा को चित्रकार ने आवरण चित्र के माध्यम से खोलकर रख दिया है। इसके लिए चित्रकार को शुभकामनाएँ और बधाई! अब कथाकार निर्मला जी की रचनात्मकता , चिंतनशीलता और प्रस्तुतिकरण की बात कहूँ तो अभी तक मैंने इस संग्रह की कहानियाँ पढ़ी नहीं है लेकिन आवरण की भाव-भंगिमा से बार-बार ये लगता है