Posts

Showing posts from November 15, 2023

‘उदासियाँ’

Image
  एक पेंटिंग साझा कर रहा हूँ जो मैंने आज की थी।( 13-11-2023) बिना शीर्षक: 5.6"×7 । 6", कागज पर तेल पेस्टल और एक्रिलिक : प्रयाग शुक्ला    ‘ उदासियाँ ’        सुनो , भरी दीवाली में उदासियों का राग छेड़ कर जो बैठे हो , मैं नहीं सुनूँगी। अपने को उदासियों की कतरन से नहीं भरूँगी। अभी कल ही तो रोशनी आई थी चहलकदमी करते हुए हमारे घर। क्यों बंद कर लिया था तुमने अपने मन के मर्तबान का मुँह। तुम मुझे ही क्या किसी भी स्त्री को देख लो , स्त्री अपने होने में हर वक्त व्यस्त है। वह व्यस्त है इसलिए खुबसूरत और ज्योतिर्मय भी है।         बात करनी है तो स्त्री के पीछे फैली नीरव उदासी की करो। दीवाली के तुम तक न पहुँच पाने की करो। संसार से विरक्त , अपने में अडिग और अकेलेपन को पीते हुए इस घर की करो। ऐसी जानलेवा अबोली चुप्पियाँ कोई-कोई ही बर्दास्त कर सकता है। उदासियाँ कहीं से भेजी नहीं जातीं। बनाई भी नहीं जातीं। उगाई भी नहीं जातीं। उदासियाँ मन के किसी अज्ञात कोने में जन्मती हैं , और तुम्हें पता भी नहीं चलता। उदासियाँ मन के गिर्द रहकर ख़ुशी के तंतुओं को खाती हैं।          उदासियों का अपन