"एक दिन का सफर" कथा संग्रह पर आई टिप्पणियाँ

टिप्पणीकार जयराम सिंह गौर मानवीय जीवन की वेदना को उकेरती कहानियाँ ( समीक्षा प्रेरणा पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है ) कल्पना मनोरमा अब न केवल कथाकार अपितु एक साहित्यकार के रूप में स्थापित हो चुकी हैं। उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा कविता से प्रारंभ की और लगभग साहित्य की हर विधा में लेखन कर रही हैं। कल्पना मनोरमा लीक से हटकर सोचने और रचने वाली लेखिका हैं। अभी हाल ही में उन्होंने पुरुष विमर्श पर दो कहानी संग्रह ‘‘कांपती हुई लकीरें’’ और सहमी हुई धड़कने’’ का संपादन किया है। जो वर्तमान में समाज के उस हिस्से का दुःख बयान करता है, जिसे सदियों वे शक्तिशाली और क्रूर माना जाता रहा है। खैर! अब बात उनके सद्यः प्रकाशित कथा संग्रह ‘‘एक दिन का सफर” की, जिसे नई किताब प्रकाशन समूह के अनन्य प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस संग्रह में बारह विविधवर्णी कहानियाँ हैं जो 152 पृष्ठों में समाहित हैं। इस कथा संग्रह के फ्लैप पर वरिष्ठ कथाकार जयशंकर द्वारा लिखी टिप्पणी का एक अंश उद्धृत करना चाहूंगा,‘‘कहानियों में इधर की स्त्रियों के जीवन की प्रताड़नाओं को नए संदर...