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तेरी उम्मीद,तेरा इंतज़ार

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" आओ आवरण बाँचें" में # रीता _ गुप्ता जी के कथा संग्रह # तेरी _ उम्मीद _ तेरा _ इंतज़ार ’ के # आवरण और # शीर्षक पर कुछ बातें की जाएँ। " धीरे-धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय , माली सींचे सौ घड़ा , ॠतु आए फल होय।" माली , पेड़ और ऋतुओं के माध्यम से कबीर दास जी ने एक बहुत ही टैकनिक्ल और वैज्ञानिक बात कही है। इस दोहा में संपूर्ण संसार चाहे वह सजीव हो या निर्जीव के लिए तथ्य और कथ्य छिपा है। जो व्यक्ति जिस धरातल पर हो वह वहीं से अपने कार्यों और वृत्तियों को फलने , फूलने और आत्मिक संतोष पाने के लिए इस दोहे की अर्थवत्ता को ग्रहण कर जीवन सुखमय बना सकता है। कथाकार रीता गुप्ता जी की कृति "तेरी उम्मीद/तेरा इंतज़ार" शीर्षक कबीर दास जी के दोहे की तरह अपने आप में समस्त जीवन के आयामों को समेटे हुए दिख रहा है। कृतिकार की लिखित सम्वेदनाएँ बेहद तरल-सजल होंगी। वैसे भी रोजमर्रा की ज़िंदगी में हमारे स्वयं के बाद दूसरा ही आता है। अपने क्रियान्वयन से जब व्यक्ति सफल नहीं होता तब उस दशा में उसकी दृष्टि दूसरों पर जाती है। वह दूसरों से मदद चाहता है। उसी चाहना में उसके मुख से जो शब