Posts

Showing posts from February 6, 2023

ऋतुपति आवे पाहुना

Image
फागुन जूड़े में लगा , चली बसंती नार ऋतुपति आवे पाहुना , झुक गई मन की डार!!   चलो सखी बगिया चलें , लाएं चुन कचनार मदन सजीला आएगा , पहनेगा उर हार।।   मन पाखी उड़ता फिरे , खोजे मन का मीत पात पात मिल गा रहा , बासंती मन गीत।।   हवा जोगिया बन चली , धूप बनी तलवार सूरज बोला नेह से , ठंड गई उस पार ।।   आओ नभ से उतर कर , कामदेव महराज धरती ठिठुरी पड़ी है , साधो इसके काज।।  

मौसम के उन्माद में

Image
  फागुन के संग आ गया , खेतों में ऋतुराज। डाल डाल पर उग गए , खुशियों के नव ताज।।   लगे डोलने हृदय फिर , कृषक हुए सौमित्र। माटी भी उनको लगे , चंदन का ज्यों इत्र।।   पतझड़ में जब बोलती , संध्या रूखी बात। लिए पोटली खुशी की , मौन पसरती रात।।   मौसम के उन्माद में , मौन हुए वाचाल। ताल पोखरे मचलते , ओढ़ बसंती पाल।।   घरनी बोली कृषक से , चलो कंत उज्जैन कृषक बोलता प्रिया से , सुनो कोयली बैन।।