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Showing posts from February 20, 2022

आत्मीयता का स्पंदन

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कानपुर की यशश्वी संस्था 'यथार्थ' से सम्मानित हुईं डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव जी  पिछले कई दिनों से प्रियंका गुप्ता यथार्थ साहित्यिक संस्था की पुरातन गोष्ठियों के साहित्यिक चित्र  यथार्थ व्हाट्स एप समूह में पोस्ट कर रही हैं। उन्हें देखते हुए मुझे प्रेम गुप्ता ‘ मानी ’ दीदी की मौन मगर गहन साहित्यिक साधना का अंदाजा सहज ही हो सका। आपकी कहानी ‘ बाबूजी का चश्मा ’ पढ़कर एक सप्ताह तक मेरा मन खोया-खोया बना रहा। क्यों ? क्योंकि प्रेम दीदी ने उस कहानी को सम्वेदना के   तारों से कसा है। कहानी में चित्रित रिश्तों का ढीलापन और बेपरवाही मन को लगातार सालती रही। इस तरह की सुंदर कहानी लिखने के लिए आप बधाई की पात्र हैं। मेरी ढेर सारी शुभकामनाएँ!   खैर , आज यथार्थ परिवार ने वरिष्ठ साहित्यकार सम्मान के लिए आदरणीय कृष्णा दीदी का चुनाव कर सभी को ख़ुशी प्रदान की है। आयोजन के संयोजन और संचालन के लिए प्रिय प्रियंका को अनेक साधुवाद! इस कार्यक्रम के तहत   डॉ.कृष्णा श्रीवास्तव दीदी के प्रति दो शब्द कहने का अवसर मुझे भी यथार्थ के माध्यम से मिल सका। जो मेरे लिए बेहद हर्ष का विषय है। किसी ऐसे रचनाशील व्यक्तित्व