जब पेड़ हँसा
पेड़ ने सहेजी दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता और हमारे जीवन को भी वह हमारे लिए बनता गया पालना दरवाज़ा खिड़की रोशनदान दीपक के अड्डे मेज़ कुर्सी पान की टपरी और डिब्बा नथ की संदूकची मुग्दल लाठी के साथ स्वर्ग विमान भी हमने पेड़ के लिए कुछ खास नहीं किया फलदार पेड़ों से छीने उनके फल पत्तों की ज़रूरत में तोड़ डालीं डालियाँ जब और बहुत कुछ कहने का हुआ मन तो पेड़ कटवाकर पलंग बनावा लिए और सो गए उनका चैन छीनकर जब जागे तो फिर से कोसने लगे पेडों को हमारे पागलपन पर जब पेड़ हँसा तो धरती डोल उठी ऐसे किया पेड़ ने सावधान हमें। ***