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Showing posts from July 26, 2025

नाम ही पहचान है…27.07.2025

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बुनियादी चिन्तन : बालिका से वामा तक ( स्वदेश : दूसरा स्तंभ )  स्वदेश : दूसरा स्तंभ     नाम केवल पुकारने का माध्यम नहीं होता, वह पहचान की पहली शिला है। लेकिन स्त्री के संदर्भ में नाम-शिला बार-बार हिलाई जाती है। कभी पिता के कुलनाम से काटकर, तो कभी पति के कुल में विलीन कर। "नाम ही पहचान है….!" यह वाक्य स्त्री के लिए सवाल भी है और संघर्ष भी। जब एक बालिका जन्म लेती है, तो उसका पहला संवाद संसार से रोने के माध्यम से होता है। यह रोना भाषा का आदिम रूप है, एक ऐसा स्वर, जो दीवारों से टकराकर सामाजिक उद्घोषणा बन जाता है। यह स्वर बालिका की अस्मिता की पहली दस्तक है, जो किसी नाम में ढलकर उसके 'स्व' का पहला वस्त्र बनता है। लेकिन यह नाम, पिता के कुलनाम के बिना, अधूरा रह जाता है। जानबूझकर बालिका को असंपूर्ण पहचान में ढाल दिया जाता है। नाम केवल एक उच्चारण नहीं, व्यक्ति की आत्मछवि, आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति का दर्पण होता है। भारतीय परंपरा में नामकरण का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। वेदों में कहा गया है: “नाम्ना वा ऋषयो भवन्ति”। लेकिन यही परंपरा जब स्त्री के संदर्भ में आती है त...

एक बीज की तरह बालिका 20.07.2025

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बुनियादी चिन्तन: बालिका से वामा तक ( स्वदेश का प्रथम स्तम्भ ) स्वदेश : प्रथम स्तम्भ    स्त्री बनने से पहले हर स्त्री एक बालिका होती है। यह बात जितनी सामान्य प्रतीत होती है, उतनी ही गहरी और उपेक्षित भी। समाज, परिवार और संस्कृति अक्सर उस बालिका को स्त्री के "पूर्वरूप" के रूप में देखने के बजाय, एक तैयार की जा रही भूमिका मान लेते हैं, जैसे वह कोई पात्र नहीं, बल्कि एक ‘भावी बहू’, ‘संस्कारी बेटी’, या ‘सहनशील नारी’ के साँचे में ढलने वाली आकृति हो। इसी सोच के कारण बालिकाओं का बचपन, जो संवेदना और संभावना से भरा होता है, अक्सर बोझ, भय और प्रतिबंध की ज़मीन पर टिकता चला जाता है। बालिका का बचपन किसी बीज की तरह होता है, छोटा, कोमल, लेकिन भीतर एक पूरे वृक्ष की संभावना लिए हुए। यह बीज यदि संवेदनशील मिट्टी में बोया जाए, यदि उसे पर्याप्त प्रकाश, संरक्षण और जल मिले, तो वह न केवल एक सशक्त स्त्री के रूप में विकसित हो सकती है, बल्कि समाज की दिशा बदलने वाली चेतना भी बन सकती है। परंतु इस बीज को अकसर उपेक्षा, नियंत्रण और भय की बंजर ज़मीन में गाड़ दिया जाता है। भारतीय संस्कृति में बालिका को देवी का रू...