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मंगलकारी मन की प्रकाशित शब्द छवियाँ

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  ‘ सोच विचार ’ पत्रिका के बहुपठनीय लेखक प्रकाश मनु एकाग्र अंक साहित्यिक अभिरुचियाँ रखने वालों के लिए एक निधि के समान हैं। वैसे भी तमाम साहित्यिक हिंदी पत्रिकाओं के बीच सोच विचार पत्रिका का सामान्य अंक भी विशेष साहित्यिक महत्व के साथ अपना अलग स्थान रखता है। उसमें भी जब बात प्रकाश मनु जी के एकाग्र की हो तो फिर सोने पर सुहागा वाली बात हो जाती है। वैसे तो इस अंक के केंद्र में जो लेखक हैं उन से कभी व्यक्तिगत तौर से मिली नहीं हूँ लेकिन उसके बाद भी अपरिचित जैसा भाव भी नहीं है। क्योंकि जैसे-जैसे हिंदी साहित्य (जो एक असंभावित घटना की तरह मेरे जीवन में घटा) से मेरी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं वैसे-वैसे साहित्यकारों को सुनने , समझने और पढ़ने का सिलसिला-सा चल पड़ा। पहली बार मैंने प्रकाश मनु जी की रचनाएँ किसी पत्रिका में पढ़ी थीं। वहाँ से आपके विचारों से अवगत होने का तारतम्य   शुरू हुआ। आपकी कविताओं में एक विशेष प्रकार की पुलक और धुकधुकी महसूस होती है। रचनाओं में निहित शब्द मानों उनके मन की सुन्दरता की गवाही दे रहे होते हैं। कविताओं के साथ लेखक से रू-ब-रू होने के लिए जो चित्र दिया जाता है उसे देखकर मनु ज