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Showing posts from August 2, 2020

महकतीं मुँड़ेरें

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" आज राखी है| भाई को अभी तक आ जाना चाहिए था न! क्या जरूरत थी वाया ससुराल अपने घर आने की। " मोहिनी माँ से शिकायती लहजे में बोली | " जरूरत थी बिटिया! जैसे तुम सब   अपने भाई को दो सालों बाद आता देख उससे मिलने के लिए उतावली हुई जा रही हो वैसे तेरी भाभी के भाई-बहन उससे मिलने के लिए तडप  रहे होंगे |” " हाँ तो ठीक है न माँ !भाभी को छोड़कर तो आ सकता था इसीलिए ही मुझे बच्चों को विदेश भेजना अच्छा नहीं लगता |" उसने अपनी खीझ उतारते हुए कहा | " अच्छा ठीक है मोहिनी चल माँ के साथ काम निपटा लें फिर बातें… |" बड़ी बहन ने कहा तो छोटी दोनों बहनों ने माँ के साथ मिलकर भाई के पसन्द के ढेरों पकवान बनाये ।घर की सेटिंग उसकी पसन्द की और ये सब करते हुए दोपहर हो चुकी थी। तीनों बहनें बार -बार मोबाइल देखे जा रही थीं | राखी-थाल में जलता दिया मानों जलते-जलते थक चला था। उसमें घी डालने की बात हो ही रही थी कि अचानक फोन बज उठा ।एक साथ सभी बहनें फोन पर झपट पड़ीं । " मम्मी आप बात कीजिये मोहिनी की बड़ी बहन बोली। " " हाँ ठीक है। मुन्ना , कहाँ तक पहुँचा बेटू ?&