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Showing posts from July 30, 2020

दो ध्रुवों पर मित्रता के रंग

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“ हेलो सुजाता , क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ ?” “ हाँ हाँ क्यों नहीं | दिन में दो से चार बार फोन करोगी और बार-बार क्या यही पूछती रहोगी... |” “ अरे यार….तुम कितनी अच्छी हो सुजाता |” “ अच्छा मन ही दूसरे की अच्छाई को समझ सकता है रितु ! खैर..तू बता क्या बात है ?” “ मैं एक चित्र बना रही हूँ , कुछ बता न कि तू होती तो इसमें क्या करती ?” रितु ने सुजाता से पूछा ; जो कि हर दिन और हर ड्राफ्ट की बात बन गयी थी | इसलिए बिना किसी औपचारिकता के सुजाता अपनी राय उसके आगे रखने लगी | “ मैं , तो इसको…….इस प्रकार करना उचित समझूँगी |” “ सही कहा तुने | इस प्रकार से तो अर्थ गहरा हो जाएगा |” " हाँ जी इसीलिए कहा |" अपने मित्र के काम आकर हमेशा सुजाता फूली न समाती | “ हेलो सुजाता क्या मैं अभी बात कर सकती हूँ !”दो -तीन घंटे बाद रितु ने फिर फोन लगा दिया | “ हाँ जी बोल रितु |” “ सुजाता , मेरे मन में अगले चित्र ले लिए एक थीम है ; सुनेगी ?” “ बोलो न !” सुजाता ने कहा तो रितु अपनी थीम के बारे में उससे बहुत देर तक विस्तार से चर्चा करती रही | “ तेरा ख्याल ठीक है लेकिन मैं और भी गहर