Posts

Showing posts from July 31, 2022

अंश और अंशी का द्वंद्व

Image
  उसके यानी कि ईश्वर के द्वारे बड़े संकरे होते हैं। कोई-कोई ही इनके बीच से निकल कर इनकी सुधबुध कर पाता है। संसार में अच्छे बुरे का एहसास तटस्थ भाव से कर पाना बिल्कुल साधारण बात नहीं। इसके के रचयिता की जीवोद्धारक विधि बेहद अजीबोगरीब है। वह आपके नहीं ,  अपने ढंग से कार्य करता है। जब हमें बराबर ये लगता और खटकता रहता है कि हमारे साथ जो हो रहा है, वह बहुत बुरा हो रहा है ,  लोग चालें चल रहे हैं। उस समय जगतनियंता आपके दोषों और अहम को परमार्जित कर चालन लगाकर तुम्हें निखार कर आदमी बना रहा होता है। क्योंकि आप जिस जगह को सर्वोत्तम मानकर टिकना चाहते हो ,  उस अदृश्य को मालूम होता है ,  वह स्थान आपके अनुकूल नहीं है। तभी तो वह इंसानी मुहरों को आपके खिलाफ भड़का देता है। और हम ठगे से देखते रह जाते हैं।   यहाँ पहुँचकर अंश और अंशी का जो द्वंद्व पैदा होता है ,  वह जान लेवा ,  कठिनतम कहलाता है। आपकी अपेक्षाओं के पर कतर कर वह आपको ऐसे स्थान पर पहुँचा देता है ,  जहाँ आपके स्वाभिमान को सम्मान ही नहीं मिलता बल्कि आप सुकून भी महसूस करने लगते हैं। छूटने और पहुँचने के बीच के वक्त को काटने-छाँटने में हमें तीनों जन

वस्तुएँ भी कुछ कहती हैं...

Image
  वस्तुएँ भी कुछ कहती हैं... चित्र में जो चाबियाँ दिख रही हैं वे सिर्फ चाबियाँ नहीं , बल्कि सजीव दहकता हुआ गुज़रा एक समूचा ज़माना है , जो अब मौन किसी दराज में पड़ा रहता है। होली-दीपावली ताला चाबी उठाकर मालिक कभी ये ," अरे देखो बेबी! अपना गाँव वाला घर इन्हीं की दम से सुरक्षित रहता था।" बोल देता है , तो उतने से ही ये निर्जीव चाबियाँ संतोष कर लेती हैं। इस तरह की चाबियाँ मशहूर अलीगढ़ की ताला गली की पूरी शिनाख्त करती हैं। छोटी-छोटी दुकानों में गमकती हुई गरीब जिन्दगी चित्रित हो उठती है। टूटी साइकिल पर सवार होकर एक तालावाला आलीगढ़ से इटावा तक का सफर हौंस में तय कर लेता था। झोले में रखे ताले चाबी उसे हौसला देते चलते थे। रविंद्रनाथ ठाकुर के काबुलीवाला की तरह मेरे बचपन वाले जहन में अलीगढ़िया तालावाला की एक उजली स्मृति अभी भी शेष है। जो काले चीकट सलवार-कमीज़ के साथ गंदा काली-सफेद चैक वाला तिकोना गमछा गले में लपेटे रहता था। उसके चाम के जूते चुर्चचुर बोलते थे। जो वह पहनकर आता था। इन सबके साथ उसकी आँखों में भरा काजल जो मुझे हैरत में डाल देता था , याद आ जाता है। क्योंकि काजल सिर्फ स्त्र