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Showing posts from June 28, 2020

परम्परा और आधुनिकता के द्वन्द्व से उत्पन्न गीत

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वरिष्ठ नवगीतकार ,आलोचक और समीक्षक आदरणीय नचिकेता जी द्वारा लिखित  संग्रह की भूमिका | आज का गीत अपनी वैयक्तिक सुख-दुख की अभिव्यक्ति की जगह सामाजिक सुख-दुख की अभिव्यक्ति को अपना अभीष्ट मानता है और सामाजिक समस्याओं से सीधा साक्षात्कार करता है। यह अलग बात है कि आदिम वर्ग विहीन समाज में सामूहिक श्रम प्रक्रिया के दौरान , श्रम परिहार के लिए सामूहिक संवेग को अभिव्यक्त करने हेतु समूह गीतों के रूप में उत्पन्न गीत को सदियों तक नितान्त निजी आत्माभिव्यक्ति का माध्यम माना जाता रहा है और एक सीमा तक दकियानूस और कूपमंडूक लोगों द्वारा आज भी माना जाता है।  मौजूदा दौर की हिन्दी आलोचना की घनघोर उपेक्षा और अवमानना का तीखा दंश सहते हुए भी हमारे गीतकार अपने रचनाकर्म से पलायन न करके लगातार गीत का सृजन ही नहीं कर रहे हैं , अपितु वर्तमान सामाजिक चेतना के उन्नयन में सकारात्मक भूमिका भी अदा कर रहे हैं। समकालीन गीत-धारा को गतिशील रखने में नई पीढ़ी के गीतकारों का योगदान सर्वोपरि होगा , क्योंकि उन्हीं के कन्धों पर अब समकालीन गीत का भविष्य निर्भर रहेगा। कल्पना मनोरमा समकालीन गीत का एक नितान्त नया हस्ताक्षर है। इ

एकदम ताज़े-टटके और अछूते बिम्बों की संरचना

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आदरणीय कुमार रवीन्द्र जी के साथ में कल्पना मनोरमा   मेरी पहली कृति "कब तक सूरजमुखी बनें हम"को पढ़ते हुए दादा कुमार रवीन्द्र जी की गयी टिप्पणी : हिन्दी गीतकविता का समकालीन परिदृश्य काफी समृद्ध है।  उसकी विविध नई-नई भंगिमाएँ इस परिदृश्य को रोचक बनाती हैं। इधर के वर्षों में जिन युवा गीतकवियों ने अपनी सुष्ठ सहज कहन से हिन्दी नवगीत में नये आयाम जोड़े हैंं, उनमें एक महत्वपूर्ण नाम है सुश्री कल्पना मनोरमा का। पिछले कुछ समय से पत्रिकाओं और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से उनके गीतों से परिचित होना मेरे लिए अत्यंत सुखद रहा। और अब उनका प्रवेश गीत-संग्रह 'कब तक सूरजमुखी बनें हम' मेरे सामने है।   संकलन के गीतों का मुख्य स्वर आत्मीय संलाप का है। आत्मा के अहसासों को पूरे मनोयोग से कवयित्री ने इन गीतों में वाणी दी है। किन्तु युग-यथार्थ के भी संकेत इस संग्रह की बहुत सी रचनाओं में पूरी शिद्दत से उपस्थित मिलते हैं। इन गीतों के बीच से गुज़रते हुए मुझे इनकी सहज कहन के साथ भाषा के वैविध्य ने विशेष प्रभावित किया है। 'अनुशासन की फसलें, चारों पहर सिले गुदड़ी में, दिशाएँ मो