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Showing posts from December 25, 2021

भोर की पगडंडिया

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मनुष्य सृष्टि का अद्भुत और विलक्षण प्राणी है। चेतना का अतिरिक्त हिस्सा , उसके मस्तिष्क के विकास के चलते उसके हिस्से आया है , उसने उसे सब प्राणियों में श्रेष्ठ बनाया। अर्थात चेतना प्राणी मात्र में विशेष भूमिका अदा करती है। जैसा कहीं मुक्तिबोध ने कहा है कि मनुष्य सामाजिक तौर पर और व्यक्तिगत तौर पर भी संस्कृत होता रहता है। ऐसा उसकी चेतना शक्ति के कारण ही होता है। रचना कर्म में रत मनुष्य अतिरिक्त संवेदनशीलता के कारण रागात्मक चेतना से अतिरिक्त रूप से समृद्ध होता है। वह अपनी रागात्मक चेतना के साथ संस्कृत होता हुआ अपने रचना पथ पर अग्रसर रहता है। कल्पना मनोरमा भी रचनाकार के तौर पर संस्कृत हुई हैं। किंतु संस्कृत होना क्योंकि एक प्रक्रिया है , सतत प्रक्रिया , अतः सातत्य उसका स्वाभाविक गुण है। इस प्रक्रिया में कुछ छूटता है , कुछ नया जुड़ता है तो कुछ मृत्युपर्यन्त यथावत् बना भी रहता है , या बना भी रह सकता है। प्रारंभिक संस्कार (बचपन के) इतने ताकतवर होते हैं और सहज रूप से व्यक्तित्व में प्रतिष्ठित होते हैं कि क्रांतिकारी परिवर्तन द्वारा ही उनसे मुक्त हुआ जा सकता है। कल्पना मनोरमा की लेखनी ऐसी कि

नकटौरा-चित्रा मुद्गल

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  " आओ आवरण बाँचें " में चित्रा मुद्गल जी की कृति ‘ नकटौरा ’ के आवरण और शीर्षक पर कुछ बातें की जाएँ। जीवन एक खेल है। बचपन में कई-कई बार सुना होगा किन्तु कभी भी उतना समझ नहीं आया जितना जानने की इच्छा थी। लेकिन जैसे-जैसे जीवन गति करता गया , समझ अपने मानक स्थापित करती गयी। नतीज़ा खेल की महिमा थोड़ी-थोड़ी समझ आना शुरू हुई कि खेल कई नियमों एवं रिवाजों द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। सामान्यतः खेल को एक संगठित , प्रतिस्पर्धात्मक और प्रशिक्षित शारीरिक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाताहै , जिसमें प्रतिबद्धता तथा निष्पक्षता होती है। जब और जाना तो पता चला कि खेल के भी कई प्रकार होते हैं। साधारण खेल में हरा थका आदमी बच्चों के खेल देखकर या अपने खेल खेलकर मन हल्का कर सकता है। दूसरा खेल महाभारत में भी खेला गया था , परिणाम सभी जानते हैं। इससे आगे यदि मनोरंजन के तत्व और खोजे जाएँ तो आता है ‘ नाटक ’’ ‘ अंधेर नगरी चौपट राजा ’ को कौन नहीं जानता सामाजिक यथार्थ के परिपेक्ष में साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने   कितनी सुन्दरता से अपनी बात रखी जो सभी को समझ में आई। नकटौरा , ना