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Showing posts from February 1, 2023

तू बड़ी या मैं

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चित्र : गूगल से साभार  भोला के गाँव का नाम चंदनपुर था। गाँव , पक्की सड़क के किनारे पर स्थित था। उस गाँव में प्राथमिक विद्यालय और छोटा सा चिकित्सालय था। विद्यालय और चिकित्सालय की बाहरी दीवारों पर संस्कृत और हिंदी के सुविचार और पशु आहार के विज्ञापन लिखे रहते। भोला के पिता एक किसान थे लेकिन अपने कार्यों में निपुण और नियम के पक्के। माँ पढ़ी-लिखी सुशील गृहणी थीं। वे भोला को जितना प्यार करती थीं उतना ही समय से स्कूल न जाने तथा पढ़ने में ढिलाई बरतने के लिए उसे डांटती थीं। इस बात का फ़ायदा भोला की दादी खूब उठातीं। वे भोला को उन बातों पर ध्यान नहीं देने देतीं , जिसे उसकी माँ कहती। दादी को सात वर्ष का भोला छोटा-सा बालक लगता। वे पढ़ने में नहीं , खेलने-कूदने में उसकी मदद करतीं। दादी की बातों को भोला दुलार समझता था और माँ की बातों को कठोरता से तौलकर उनसे दूर भागता था। भोला अपनी किताबें , पेंसिल और रबड़ घर में कहीं भी बिखेर कर छोड़ देता। देर रात तक दादी से कहानियाँ सुना करता। दिन में भी जब मौका मिलाता चोर-सिपाही और परियों की कहानियाँ दादी सुनाने बैठ जातीं। रात को देर तक जागने की वजह से भोला प्रत्येक

वृक्ष और चिड़िया संवाद

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  चित्र: गूगल से साभार  चिड़िया: " सखे! आपको कितने नामों से पुकारा जाता है ? वृक्ष: तरु , पादप , पेड़ , वृक्ष , द्रुम आदि नामों से लोग मुझे पुकारते हैं ? चिड़िया: आपको सबसे ज्यादा कौन-सा मौसम पसंद है ?  वृक्ष: पतझड़ और बसंत! चिड़िया: अरे! दो ही क्यों ? वृक्ष: क्योंकि पतझड़ मेरे पुराने पत्तों को शरीर से हटा देता है और बसंत नए-नए पत्तों और खुशबूदार फूलों से मुझे ऊपर से नीचे तक पत्तों से लाद देता है। चिड़िया: बसंत होता क्या है ?  वृक्ष: बसंत! जीवन की उत्फुल्लता है। प्रेम और सृजन का एक सुन्दर वातावरण है। इसी के आने से निराशा का अंत और खुशी का जन्म होता है। कितने भी पुराने , बूढ़े , छोटे या बड़े पादप क्यों न हों , ब संत उन्हें पत्तों और फूलों से भर देता है। चिड़िया: क्या वन-उपवन में ही फूल खिलते हैं या जंगल में भी खुशहाली आती है ? वृक्ष: बसंत के मौसम में हर जगह और हर एक प्रकार के पेड़-पौधे और बेलों पर बहार आ जाती है। चिड़िया: अरे वाह! पर आपसे जानना चाहती हूँ कि संसार में बसंत आता ही क्यों है ? वृक्ष: पृथ्वी की कुरूपता-रुग्णता हटाने के लिए। बसंत का मौसम सारे मौसमों में राजा