Posts

Showing posts from October 5, 2021

क्योंकि जड़ता व्यक्ति को नष्ट कर देती है...

Image
  भारतीय परिवेश त्योहारों का उत्फुल्ल परिवेश है। यहाँ कुछ अच्छा पाकर जितनी खुशी नहीं मिलती , उससे ज्यादा अपनी खुशियों में अपनों की साझेदारी से लोगों के मन झूम उठते हैं। भारत लोक त्योहारों का देश है। यहाँ बात-बात में अक्षत , रोली , मौली और हल्दी के रुचने का चलन है। भारतीय परम्पराएँ चुनाव की आज़ादी देती हैं फिर चाहे भगवान हों या मित्र। अब देखो न! कोई निरंकारी है तो कोई साकार ब्रम्ह का उपासक। कोई तुलसी को पूज्य मानता है तो कोई कबीर को। यहाँ सबको समान रूप से दुलराया जाता है। यहाँ की मिट्टी सबको अपने अंतर्मन में सुयोग्य स्थान देती है। जो जिसका इष्ट वह उनकी पूजा , अर्चना और वंदना हर्षोल्लास से करे या मौन रूप से , सब मान्य है। वैसे भी कहा जाता है कि किसी भी देश , शहर , घर और परिवार में साझेदारी का भाव ख़ुशी का एक अलग ही रचाव रचता है। पं.विनय चन्द्र मौद्गलय की लिखी कविता की पंक्तियाँ इस विषय में निश्चित ही सार्थक और पथ प्रदर्शक मानी जा सकती हैं ,“ हिंद देश के निवासी सभी जन एक हैं। रंग रूप वेश-भाषा चाहे अनेक हैं। ”  ऐसे ही नहीं भारत ऋषि-परम्पराओं का देश कहा जाता है।   यहाँ का श्रद्धायुत हृदय बे