शिक्षक की बदलती भूमिका
शिक्षक की बदलती भूमिका शिक्षक दिवस हमें हर वर्ष इस बात की याद दिलाता है कि शिक्षा केवल पुस्तकों और परीक्षाओं तक सीमित नहीं है। समय बदलता है तो शिक्षा की ज़रूरतें भी बदलती हैं, और उसके साथ शिक्षक की भूमिका भी बदल जाती है। आज हम ऐसे दौर में खड़े हैं जहाँ सूचना, तकनीक और सामाजिक परिवर्तन की गति ने पारंपरिक गुरु–शिष्य जैसे पवित्र रिश्ते की परिभाषा ही बदल डाली है। पुराने समय में शिक्षक को ‘गुरु’ कहा जाता था, जिसका अर्थ होता था, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला वह व्यक्ति जो त्याग और तपस्या करते हुए जाग चुका है। गुरुकुल टूटे तो विद्यालय दीवारों में सिमट गईं। अब विद्या के आलय की दीवारें तोड़ी जा रही हैं। वह दिन कितना भयावह होगा, जब एक रोबोट क्लास अटेंड करता हुआ, आदमजात को पढ़ाएगा। संवेदनाएं और मानवीय वृत्तियों के साथ जीता जागता हुआ व्यक्ति जो शिक्षण कर सकता है, क्या मशीनें संवेदनाओं का शिशु हृदय में प्रत्यारोपण कर सकेंगी? इस तकनीकी सदी सबसे बड़ा औगुण, ये करुणा को सोखती जा रही है। मानवीय मंशाओं का ह्रास होता जा रहा है। जिस दौर में शिक्षक ही ज्ञानार्जन के प्रमुख स्रोत होते थ...