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Showing posts from September 4, 2025

शिक्षक की बदलती भूमिका

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शिक्षक की बदलती भूमिका शिक्षक दिवस हमें हर वर्ष इस बात की याद दिलाता है कि शिक्षा केवल पुस्तकों और परीक्षाओं तक सीमित नहीं है। समय बदलता है तो शिक्षा की ज़रूरतें भी बदलती हैं, और उसके साथ शिक्षक की भूमिका भी बदल जाती है। आज हम ऐसे दौर में खड़े हैं जहाँ सूचना, तकनीक और सामाजिक परिवर्तन की गति ने पारंपरिक गुरु–शिष्य जैसे पवित्र रिश्ते की परिभाषा ही बदल डाली है। पुराने समय में शिक्षक को ‘गुरु’ कहा जाता था, जिसका अर्थ होता था, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला वह व्यक्ति जो त्याग और तपस्या करते हुए जाग चुका है। गुरुकुल टूटे तो विद्यालय दीवारों में सिमट गईं। अब विद्या के आलय की दीवारें तोड़ी जा रही हैं। वह दिन कितना भयावह होगा, जब एक रोबोट क्लास अटेंड करता हुआ, आदमजात को पढ़ाएगा।  संवेदनाएं और मानवीय वृत्तियों के साथ जीता जागता हुआ व्यक्ति जो शिक्षण कर सकता है, क्या मशीनें संवेदनाओं का शिशु हृदय में प्रत्यारोपण कर सकेंगी? इस तकनीकी सदी सबसे बड़ा औगुण, ये करुणा को सोखती जा रही है। मानवीय मंशाओं का ह्रास होता जा रहा है। जिस दौर में शिक्षक ही ज्ञानार्जन के प्रमुख स्रोत होते थ...

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का पत्र देश के शिक्षकों और विद्यार्थियों के नाम.

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                                                प्रिय विद्यार्थियों और मेरे सहकर्मी शिक्षकों, आज जब मैं आपसे संवाद कर रहा हूँ, तो मेरे मन में संतोष भी है और चिंता भी। संतोष इस बात का कि आप सब मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मना रहे हैं। और चिंता इस बात की कि कहीं यह दिवस केवल उत्सव, भाषण और औपचारिकताओं तक सीमित न रह जाए। मेरा आग्रह है कि इसे आत्ममंथन और पुनर्विचार का दिन बनाया जाए। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है। जानकारी आज हर जगह उपलब्ध है। आपके हाथों में मोबाइल है, इंटरनेट है, पुस्तकालय हैं  किंतु याद रखिए, जानकारी और विवेक दो अलग अलग बातें हैं। जानकारी साधन देती है, किंतु विवेक वह शक्ति है जो सही-गलत का निर्णय करने की क्षमता देती है। और यह विवेक तभी विकसित होता है जब शिक्षक विद्यार्थी को सोचने, प्रश्न करने और आत्मावलोकन करने की प्रेरणा देता है। अतः शिक्षक का असली दायित्व केवल पढ़ाना नहीं, बल्कि जीवन का मार्ग दिखाना है। छात्र को पु...