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Showing posts from October 15, 2022

अपना घर पुस्तकालय

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  स्त्री के बेघर होने की बात सदियों से बार-बार सामने आती रही है। जबकि स्त्री मनुष्य है , उसे सिंहावलोकनीय विचार करना क्यों नहीं सिखाया गया ? क्यों बार-बार उसके आगे ये जताया गया कि उसका अपना कोई घर नहीं होता है ? क्यों उसे उखाड़ने और रोपने के द्वंद्व ही उसका हासिल हैं ? बताया गया। क्या सबसे पहले स्त्री को उसकी आत्मा का घर "शरीर" की महिमा और गरिमा को बताया गया ? जो विशुद्ध रूप से उसका अपना होता है। उसे अपनी खुशी सबसे ऊपर रखना क्यों नहीं सिखाया गया ? क्या उसे स्वस्थ्य रखने की कोशिश की गयी ? जबकि स्वस्थ्य तन में स्वस्थ्य मन का निवास है , चिंतनशीलों ने सभी का ध्यान आकर्षित कर खूब बताया-जताया है। क्या वे सारी बातें जो स्त्रियों के लिए डर की पर्याय मानी गईं , उनकी विवेचना स्त्री-हित में की गई ? क्या डर जहाँ से उत्पन्न होता है , उसका भेद समझाया गया ? डर से उबरने का शऊर उसे सिखाया गया ? या फिर पराये शब्द में आबद्ध कर उसे अस्तित्वहीन बनाने की एक गहरी साजिश शिक्षाहीन स्त्री को ही सौंप दी गई ?    क्यों नहीं उसकी रचनाधर्मिता के विशाल फलक की सराहना की गई ? जबकि स्त्री आश्रयहीन नह