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Showing posts from August 16, 2020

शब्दों की गूँज

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माँ के दुनिया से जाने के बाद तानिया की साथी दादी थी। जिज्ञासु तानिया दादी की हर छोटी-बड़ी क्रिया-कलाप पर नज़र रखती। उसकी दादी एक हाथ से काम करती और दूसरे हाथ से मोबाइल देखती तो रोमांचित हो वह भी वैसा ही करने की कोशिश करती। " दादी ये कौन था ?" तानिया ने उत्सुकता से पूछा। " चिनम्मा! " " अच्छा SS वही चिनम्मा जो स्कूल में पढ़ाती हैं। " " हाँ वही! " " क्या कह रही थीं दादी चिनम्मा। " तानिया ने फिर पूछा । " कुछ नहीं...निरी बेवकूफ है। स्वभावगत दादी ने बुदबुदाया।   " चिनम्मा बेवकूफ है। " तानिया ने भी दोहराया। " क्या कहा तूने ?" दादी को अपना ही वाक्य सुनाई दिया था। " कुछ नहीं दादी , ये गुड़िया मेरी बहुत अच्छी मित्र है। इसी से बोल रही थी। " तानिया , पल में बात बनाने का गुण भी अपनी दादी से सीख रही थी। चिनम्मा , सिम्मी , पम्मी , रिम्मी जितने दोस्त उसकी दादी के हैं , उनके ही नाम तानिया ने अपनी गुड़ियों के रखे थे। दादी-पोती की बातें चल ही रही थीं कि मोबाइल फिर बज उठा। मोबाइल रखते हुए दादी ने पोती को हिदायत दी। " मेरी