रिश्तों की अल्पना
सहानुभूति ( सिंपैथी) समानानुभूति (एंपैथी) इन दो शब्दों में से मारे मरुवा हम पहले शब्द को बड़ी मुश्किल से जान पाते हैं और इसपर भी हमें नाज़ होता है कि समस्त करुणा का लेन देन हम समझ गए हैं। आत्मसात करने की बात तो अभी कही ही नहीं गई।
अब दूसरा शब्द
कहता है कि,"बहनी हमरी बात भी कर लेव।" तो इस का दर्द
महसूस करते हुए मैंने देखा कि हम इस के पास से होकर नहीं, दूर
से भी नहीं गुजरते हैं। तो बताइए रिश्तों की अल्पना सुंदर कैसे बनेगी? रिश्ते की मर्यादा किसी दो के बीच ही संघनित हो सकती है इसलिए इन दोनों
शब्दों का अर्थ भी रिश्ते में बंधे वस्तु या व्यक्ति दोनों को ही समझना होगा।
एक बात और कि
रिश्ता लघु शब्द नहीं, इसमें प्रकृति से लेकर भूगोल, इतिहास,
समाजशास्त्र, पाकशास्त्र सब के सब निहित होते
है।
इस चिड़िया को
जब ध्यान से देखा तो मुझे लगा कि बस ये नन्हा सा जीव पेड़ के साथ अपना रिश्ता
लचीला, हरा और खुशबूदार बनाए रखने के लिए, उक्त दोनों शब्दों को बरतते हुए, उसके अर्थ और भाव
के साथ तालमेल बैठाती हुई लग रही है।
जिंदगी पढ़ो तो
कठिन है, समझो तो अबूझ लगती है और आहिस्ता आहिस्ता इसके साथ
यदि चलो तो एक समझदार मित्र की तरह मुस्कुराते हुए हमारा साथ देती है या देने लगती
है। नहीं तो गली के पत्थर की तरह इसे ठेलते जाने में हर्ज ही क्या है!!
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