चेहरे बीच लुनाई आए

 


कैसे बात बनाई जाए

चेहरे बीच लुनाई आए।।

 

कहते-सुनते बीच-बीच में

अपनी जगह बचाई जाए।।

 

नदिया नहर सरोवर में रह

मन की भीत उठाई जाए।।

 

हथियारों के बाज़ारों में

कोई ग़ज़ल सुनाई जाए।।

 

यहाँ-वहाँ की राजनीति में

सच्ची नीति बनाई जाए।।


रैन बसेरा जग का फेरा

अपनी राह सजाई जाए।।

 

कल्प न बीते विचलन में,

मंज़िल एक बनाई जाए।।

Comments

  1. सुभानल्लाह ! ! बेहद पाक ग़ज़ल

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