मन को कैसे राधा कर लूँ



 कैसे तुम से वादा कर लूँ ,

जीवन अपना आधा कर लूँ ।।

 

कुब्जी प्रीति दिखाओगे तुम 

मन को कैसे राधा कर लूँ ।।

 

सुई रखोगे नश्तर वाली

कैसे खुद को धागा कर लूँ ।।

 

कृपण नियति बाँटोगे जी भर 

कम से कैसे ज़्यादा कर लूँ ।।

 

गूँगे गीत सिखाओगे जब

स्वर को कैसे बाजा कर लूँ ।।

 

लड़-भिड़ बाँटोगे कुनबे जब 

चूल्हा कैसे साझा कर लूँ ।।

 

लूटोगे नित नई पतंगें

उनसे जुड़ क्यों मांझा कर लूँ ।।

 

फक्कड़ सुबह-शाम बाँटोगे 

दिन को कैसे राजा कर लूँ ।।

 

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