स्त्री का स्थाई रंग


 स्त्री का स्थाई रंग 

स्त्री की पहचान रंग

रंग की पहचान स्त्री

दोनों अभिन्न...कहा दुनिया ने

सधवा के रंग सारे

विधवा की रंगहीनता अभिन्न

नहीं समझ सका कोई भी

समूची स्त्री का रंग

टुकड़ों में विभक्त स्त्री

रंगों से पहचानी जाती रही

फिर भी बनी रही रंगहीन

एक तिहाई स्त्री का रंग

आसमानी नीला है

पानी में पड़ते आसमानी रंग में

रंगी स्त्री, रंगहीन ही बनी रही

समुद्र में आसमानी रंग छलावा है

स्त्री का कुछ अंश

सिमटा रहता है

इसी छलावे में

स्त्री चलाती है खुद को

लाल रंग के सहारे

रंगों में लाल रंग प्रेम का है

स्त्री दिखती है लाली-लाली

प्रेम-भरी, हरी-भरी

पर विषाद स्त्री का स्थाई रंग है

कभी मिलेगा कोई आत्मीय उसे

बताएगी जरूर स्त्री

अपने मन की बात।

चित्र: अनु प्रिया

 

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