जुगनुओं की तलाश में
कल्पना मनोरमा & यशवर्धन वाजपेयी |
चाँद की आँखों में कुछ नमी सी है।।
***निकला है चाँद लंबे अरसे के बाद
चेहरे पे उसके हँसी जमी सी है।।
***रात भर सुनता था किस्से नानी से
बिखरे लम्हात में पसरी गमी सी है।।
***निकलता है कौन बिखेरने को उजाले,
थमे हुए मौसम में चहल कदमी सी है।।
***जुगनुओं की तलाश में चाँद मिला,
फिर भी लगता है, कोई कमी सी है।।
यशवर्धन वाजपेयी
अरे वाह ! ओम भी लिखने लगे !👌👌👌👌गुरु माता को नमन है भाई !!
ReplyDeleteगुरुमाता तो आप ही रहोगी, दोनों की। आपको नमन 🙏🙏💝
Deleteअरे वाह , बहुत बधाई ...बढ़िया लिखा है
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका
Deleteहोनहार बाल साहित्यकार को अनंत शुभेच्छा।
ReplyDeleteसस्नेह।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत धन्यवाद श्वेता जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन हेतु बधाई जव शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआप सभी मित्रों हार्दिक आभार
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