खुद को बड़ा मान लेना
बहुत देर सोचते रहे हम!
फिर याद आया की
सब कुछ होने के साथ
यदि थोड़ा न होना भी होते हम
तो क्या ही होते!
सब कुछ होने में
सबसे ज्यादा खटकता है
खुद को बड़ा मान लेना
कमबख्त ये "बड़ा" शब्द अगर
न जुड़ा होता हमसे
तो बनी रहती हमारे पास
बड़ी-सी विनम्रता
ज्यादा-सी मानवता
और सजीवता के साथ प्रेम भी
इस तरह
बड़े न होकर
हम पाते प्रेम सबसे और
कहलाते मानव!
***
सुना है, कुछ न होना ही सब कुछ होने की ओर पहला कदम है
ReplyDeletebahut aabhar Anita ji
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