प्रेम-पगी बुद्धिमान स्त्री


लेखिका व नवबधु: प्रियंका दुबे 
:

प्रेम-पगी!

बुद्धिमान स्त्री जब ढलती है दाम्पत्य में

तो सम्बंध उसे सुंदर नहीं बनाता

वह संबंध के साथ संगम कर

बना लेती है स्वयं को प्रेम-संबंध!

उसके साथ चलते हैं

सपने-अभिलाषा

उसके सहयात्री बनकर

प्रेमी के प्रेम में पगी सुकुमारी स्त्री

अपने हठों को

सहयोग-समझ में तिरोहित कर

दांपत्य की पाठशाला में

सुरुचिपूर्ण खिलने देती है

जीवन के श्वेत-रक्ताभ कँवल 

बुद्धिमान स्त्री जब ढलती है दांपत्य में

तो प्रेमी को तोड़ती नहीं है

उसकी डाल से

आपसी विश्वास और सम्मान से

जोड़े रखती है प्रेमी को उस वृक्ष से

जिससे जुड़कर वह बना है

उसका प्रेमी!

जिसकी छाया में खेला होता है

प्रेमी का बचपन

कवि,प्रेमी,पति: अंबर पाण्डेय के संग प्रियंका दुबे


बुद्धिमान स्त्री उसे सींचती है

सद्भावना के जल से

संयम-समझ की चादर के बीच

काढ़ती है वह

अनुभव के प्रेमिल बेल-बूटे

आपसी समझ और समर्पण से

विवाहित जीवन को बना लेती है

प्रेम का मंदिर

सहभागिता की प्रविधियों का

सामना करती है नेक नियत से और

प्रेमी के भरोसे को जीत लेती है

विरोधी परिस्थितियों में बन जाती है वह

प्रेमी पति की भरोसेमंद साथी      

संगठनशीलता और समरसता से

बनाती है वह

जीवन को सुख का उद्यान

बुद्धिमान स्त्री की गृहस्थी

प्रेम-सौभाग्य के रंगों से रंगकर

बन जाती है भावी आगंतुकों की

उर्वर-भूमि

बुद्धिमान स्त्री के हृदय में बसती है

स्वीकार्यता और उचित निर्णय लेने की शक्ति

वह अपने अनुभवों से सँवार लेती है

नए-पुराने सभी उत्तरदायित्व

मन को बनाकर प्रेम की दिग्दर्शिका

अन्तस् में उतार लेती है

जीवन की दिपदिप करती

अजस्र प्रेमिल धारा

बुद्धिमान स्त्री देखती है-

जीवन को जीवन की तरह

प्रेम को प्रेम की तरह

प्रेमी को प्रेमी की तरह

पति को पति की तरह

और खुद को मनुष्य की तरह ।

कल्पना मनोरमा

Priyanka Dubey को अभी कम समय ही हुआ है, तब से उन्हें पढ़ा, सुना और जाना। मुझे प्रियंका की कविताएं, वक्तव्य और उनका गद्य बहुत पसन्द आया। एक शब्द शिल्पी दूसरे शब्द शिल्पी को शब्दों की भेंट से सुंदर उपहार क्या दे सकता है। आपका दांपत्य जीवन खुशहाल रहे। इसी कामना के साथ अनेक शुभकामनाएं!!

 

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