नीम के फूलों वाली शाम

नीम के फूलों वाली

मई की एक शाम

बुलाती है हम दोनों को

तो आओ चलें कहीं दूर

किसी नदी के किनारे पर

मचलती हवाओं के संग

डोलकर उतर चलें

निर्झरिणी के बीचोंबीच

लहरों की गलबहियों में खोज लाएं

अपने को अलग अलग

किन्तु बने रहें बिल्कुल साथ भी

 

तुम्हारी पलकों पर सिर्फ नहीं

हमारी पलकों पर फूल उठेगा केसर

फिर रंग और खुशबू की

साझेदारियां हमें अभीष्ट बनाएंगी

 

चलो मौसम की कलरव पर

बन जाएं हम कोयल के संगी

सुने और सुनाएं

अपने मनवांछित गीत

एक दूजे को प्रेम में डूबकर

 

नीम के फूलों से झरती मधुगंध में

सराबोर सहजीवन को

किसी की नज़र न लगे

आओ निहारें पीतल की परात

में उतर आए चांद को

हम दोनों साथ साथ।।

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