मौन में मुस्कुराहटें



दिसंबर चला जायेगा
संसार का आँगन छोड़
फिर भी छूट जायेगी उसकी सुगंध
किसी नीम के झुरमुठ में
इकत्तीस दिसंबर दो हाजर बाइस की
धुंध भरी आवाज़ें
बजती रहेंगी देर तक
हमारे कानों में
अपने अधूरे काम छोड़
ओवरकोट की जेब में हाथ रखे
दिसंबर जब चला जायेगा
कभी न लौटने के लिए
तब जनवरी सम्हालेगा लेथन
विगत वर्ष की
नए प्रेमी की तरह
मौन में मुस्कुराहटें समेटे
फिर भी हम यही कहेंगे कि
छोड़ना कठिन है
नई प्राप्ति से।

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