फ़िरोजी मफ़लर
सुनो! नवंबर की
पीली शामों में
तुम अकेले-अकेले घूमने
मत जाया करो
धूप छलावा है
तुम उसकी
गुनगुनी ऊँगली पकड़े
चलते रहोगे,
वह दाँव दे कर तुम्हें
खिसक जाएगी
प्रेमी के साथ
फिर तुम्हें तुम्हारा रास्ता
खोजने से भी नहीं मिलेगा
सूखे पत्तों में अक्सर
पते गुम जाते हैं
ठहरो, हम चलेंगे साथ-साथ
पिछले बरस का अधूरा
फ़िरोजी मफ़लर
बुनाई के अंतिम
मोड़ पर है।
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