ड्राइव ओवर
"गाड़ी को साफ कब से नहीं करवाया है?" कैब में बैठते हुए सविता ने डांटने वाले लहजे से कहा।
"मैम,ओटीपी बताइए प्लीज़।" ड्राइवर ने उसे अनसुना
करते हुए अपनी कही।
"1082, अब ए.सी. भी
चला दो, क्या जान ही लोगे ?" साड़ी
का पल्लू नाक पर रखते हुए सविता फिर बोली।
"गाड़ी नॉन
ए.सी. है।" ड्राइवर ने रुखाई से कहा।
"तुमने कितनी
गंदी गाड़ी बुक की है केतन, कुछ पता है तुझे?" सविता ने झुँझलाते हुए
बेटे का फोन खड़का दिया।
"क्या हुआ मम्मी?
अच्छी नहीं है तो उतर जाओ। दूसरी करवा देता हूँ।" बेटा सामान्य स्वर में ही बोला।
"कार्यक्रम में न जाना होता तो जरूर यही करती। खैर छोड़ो।"
गुस्सा निगलते
हुए सविता ने पर्स से मास्क निकाल कर नाक तक चढ़ा लिया। गाड़ी की अधखुली चारों खिड़कियाँ धूल, धुँवा,मिट्टी और सड़क
के किनारे मुँह खोले कचरे के डिब्बों से उठती बदबू अंदर की ओर धकेलती जा रही थीं। सविता का मन ग्लानि से भरता चला गया।
"आपकी गाड़ी नॉन ए.सी. है, ये बात ‘ऊबर एप’ पर अपडेट क्यों नहीं की ? दिमाग खराब करते हैं ये लोग भी।" सविता ने चालक पर गुस्सा उड़ेला।
"लीजिए मैडम आ गए
आप।" इण्डिया नेशनल सेंटर के आगे फुटपाथ पर खटारा वैगनआर खड़ी
करते हुए चालक ने कहा।
"किराया कितना…।"
"तीन सौ अड़तीस।"
"बस्स तीन सौ...?"
सविता हैरान रह गई। जिसे चालक भाँप गया।
"देखिए, आप बुजुर्ग है इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा। नहीं तो बीच में ही उतार देता।
बुक कराने वाले ने जान-बूझकर आपके लिए मिनी कैब बुक की थी। अगर आप प्रीमियम वाली हो तो बेटे
को बोला क्यों नहीं ? उसमें आपको सफाई भी मिलती और ए.सी. भी।"
पिछले एक घंटे की गुस्सा उगलता हुआ कैब चालक निकल गया।
"ओहो! नौकरी छूटे तो अभी महीना भी नहीं हुआ।" सविता उसाँस भरते, बुझे क़दमों से सभागार की ओर बढ़ गई।
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जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (०७-११-२०२२ ) को 'नई- नई अनुभूतियों का उन्मेष हो रहा है'(चर्चा अंक-४६०५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आप दोनों का
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