अमराइयों का मौसम


 कौन कहता है ये अमराइयों का मौसम है

माँ बिना लगता, ये उदासियों का मौसम है।।

 

कड़कती धूप भी लगती थी छाँव छ्तनारी

अब तो बस तपती दुपहरियों का मौसम है।।

 

आम चले आते हैं ख़ुद-ब-ख़ुद दरवाज़े तक

लगता है फिर भी निबौलियों का मौसम है।।

 

झूमती हैं डालियाँ लदी फलदार बागों में

मेरे सूखे मन की क्यारियों का मौसम है।।

 

लौटते हैं मौसम कई-कई बार आँगन में

लौटी नहीं माँ, सूनी पगडंडियों का मौसम है।।

 

छोड़कर अकेला हुई हैं विदा जब से माता  

हर पल लगा मुझे कठिनाइयों का मौसम है।।

***

 

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