इलाइची का पुष्प
हर फल से पहले संसार में उसका फूल आता है, जो बेहद कोमल और सुंदर होता है। क्या मनुष्य का भी....? निश्चित ही। शारीर विज्ञान पढ़ने और पढ़ाने वाले बताते हैं कि मानव फूल भी बेहद खूबसूरत और मोहक होता है।
खैर, यहां बात हो रही है छोटी इलाइची के फूल की जो अपने आप में बेहद आकर्षक लग
रहा है। इलाइची की खुशबू से कौन परिचित न होगा! वैसे फूल बांस का भी बहुत सुंदर
होता है किंतु उसे शुभ नहीं माना जाता किंतु बांस इस भाव से परे ही रहता है।
प्रकृति की संरचना में उपजती सृष्टि अभिष्ठ तो होती ही है साथ में उसकी निरापद
अबोधता मन को बांधती भी है। प्राकृतिक रौ में सोचकर देखो तो बुरा भी लगता है कि जो
तत्व अबोला और अहेतुक होता है, भला उसे शुभ अशुभ की डोर से
कैसे बांध दिया जाता है।
मुझे लगता है
ईश्वर की संरचना में मनुष्य को छोड़कर किसी में भी अपने होने का अहम नहीं होता तो
उसमें शुभता और अशुभता की मुहर लगाना क्या उचित होगा? एक बात, दूसरे किसी एक व्यक्ति का अनुभव सभी
प्राणियों का अनुभव नहीं बन सकता है तो फिर गांठ किस बात की? हां, यहां से रूढ़ी पंथ का जन्म ज़रूर होता है जो
जीवनपर्यन्त एक खुश मिजाज़ आदमी को अपने शिकंजे में कसना जनता है।
इलाइची के फूल
को देखकर उपजा ज्ञान।
पंद्रह दिन पहले एक कबूतर मेरे घर आया, अपने दो अंडे अचानक पायदान पर छोड़ गया।मैंने उसका छोटा सा घर बनाया। वहीं रहता है अब वह मेरे रूम के बगल में... सास की रोज डाट सुनती हूँ घर में कबूतर का रहना शुभ नहीं होता। हम इंसानों का दिमाग़ कितना संकुचित है। मानती हूँ पँख फड़फड़ने से हवा में....। परंतु इतना भी क्या? आपको फोटो भेजती हूँ उसके बच्चे निकलने का इंतजार है।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा है आपने विचारणीय है।
हम इंसान होकर भी कहाँ खड़े है?
सादर